Padmanabhaswamy Mandir: श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास 8वीं सदी से मिलता है. यह विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में एक है जिसे भारत का दिव्य देसम भी कहते हैं. दिव्य देसम भगवान विष्णु का सबसे पवित्र निवास स्थान है, जहां भगवान विष्णु हैं भुजंग सर्प अनंत पर लेटे हुए हैं. आइए जानते हैं केरल के इस मंदिर की विशेषताएं.
03 May, 2024
Padmanabhaswamy Temple Kerala: भारत के केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पूर्वी किले के भीतर स्थित श्री पद्मनाथ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है. यह मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तुशिल्प शैली का अनुपम उदाहरण है. इसे दुनिया का सबसे धनी मंदिर माना जाता है.श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास 8वीं सदी से मिलता है. यह विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में एक है जिसे भारत का दिव्य देसम भी कहते हैं. दिव्य देसम भगवान विष्णु का सबसे पवित्र निवास स्थान है जिसका उल्लेख तमिल संतों द्वारा लिखी गई पांडुलिपियों में मिलता है. इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान विष्णु हैं जो भुजंग सर्प अनंत पर लेटे हुए हैं.
विशेषता
त्रावणकोर के प्रसिद्ध राजा मार्तंड वर्मा ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य कराया जो आज के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के रूप में हमें दिखता है. मार्तंड वर्मा ने ही इस मंदिर में मुरजपम और भद्र दीपम त्यौहारों की शुरुआत की थी. मुरजपम जिसका अर्थ प्रार्थना का मंत्रोच्चार करना होता है. ये मंत्रोच्चार इस मंदिर में छ: वर्षों में एक बार किया जाता है.
इतिहास
वर्ष 1750 में, मार्तंड वर्मा ने त्रावणकोर राज्य भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया. फिर मार्तंड वर्मा द्वारा यह घोषणा की कि राज परिवार भगवान की ओर से राज्य का शासन करेगा और वे स्वंय और उनके वंशज राज्य की सेवा पद्मनाभ के दास या सेवक के रूप में करेंगे. तब से, त्रावणकोर के प्रत्येक राजा के नाम से पहले पद्मनाभ दास पुकारा जाता है. पद्मनाभस्वामी को त्रावणकोर राज्य द्वारा दिए गए दान को त्रिपड़ीदानम कहा जाता है.
मंदिर के देवता
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम का नाम श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता के नाम पर है जिन्हें अनंत (जो सर्प अनंत पर लेटे हैं) भी कहा जाता है. शब्द ‘तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है- श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि.
कहां है मंदिर
माना जाता है कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ऐसे स्थान पर स्थित है जो सात परशुराम क्षेत्रों में से एक है. स्कंद पुराण और पद्म पुराण में इस मंदिर का संदर्भ मिलता है. यह मंदिर पवित्र टंकी पद्म तीर्थम यानी ‘कमल जल’ के पास है. यह मंदिर अब एक ट्रस्ट चलाता है जिसका नेतृत्व त्रावणकोर के पूर्ववर्ती राज परिवार के पास है.
यह भी पढ़ें: City of Temples: किसे कहते हैं मंदिरों का शहर? जहां घूम सकते हैं ये 5 फेमस Temple