Home Regional उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात, घाटी में भारी तबाही

उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात, घाटी में भारी तबाही

by Rashmi Rani
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Kashmir Flood

Kashmir Flood: कश्मीर घाटी के मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ आ गई है और कई जगहों पर लैंडस्लाइंड्स भी हुई हैं.

01 May, 2024

Kashmir Flood: कश्मीर घाटी के मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ आ गई है और कई जगहों पर लैंडस्लाइंड्स भी हुई हैं. कुपवाड़ा और हंदवाड़ा में कई जगहों पर पानी भर गया है. उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात नजर आ रहे हैं. अधिकारियों ने निचले इलाकों और नदी के किनारों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया है.

‘हमारी पहली प्राथमिकता है जीवन ‘

वहीं, मौके पर पहुंचे तहसीलदार जीशान खान ने कहा कि बुडपुरा और कावेरी जैसे प्रमुख गांवों को रात में ही खाली करा लिया गया है. हमने बहुत से लोगों को निकाला है और अगर जरूरत पड़ी तो हमारे पास नावें हैं और हम स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. हमारे सभी कर्मचारी लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं, हमारी पहली प्राथमिकता जीवन है और इसके बाद ही किसी अन्य चीज पर ध्यान देंगे. उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि अपने घरों के अंदर रहें और बाहर न निकलें और अगर आप निचले इलाकों में रहते हैं तो आप ऊंचे स्थानों पर चले जाएं.

झेलम नदी का बढ़ा स्तर

वहीं, लगातार हो रही बारिश के कारण झेलम नदी श्रीनगर में बाढ़ के स्तर को पार कर गई है. पानी का स्तर बढ़ने के कारण कुपवाड़ा जिले में सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशाने से करीब बह रहे हैं. ऐसे में झेलम और कश्मीर के अन्य जल निकायों पर नजर रखने के लिए स्थानीय प्रशासन ने एक कंट्रोल रूम तैयार किया है. जहां पानी भर गया जिला प्रशासन के अधिकारियों ने वहां बचाव अभियान चलाने के लिए स्थानीय पुलिस, सेना, CRPF और SDRF को तैनात किया गया है. वहीं, बाढ़ के कारण नवा बोनिगाम पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया है.

स्थानीय लोगों का फुटा गुस्सा

स्थानीय लोगों का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि हम इसे स्मार्ट सिटी कह सकते हैं क्योंकि यहां इतना पैसा लगाने के बावजूद जनता को सुविधाएं मुहैया कराने में ये पिछड़ गए हैं. लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जलभराव के कारण सड़कों पर पानी भर गया है. सर्दियों के मौसम की तुलना में झीलों के पास जलस्तर पहले से ही ऊंचा था और लगातार हो रही बारिश के बाद तो ऐसा होना तय था. इसलिए इसके लिए अधिकारी ही दोषी हैं.

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