Home Religious Shree Stambheshwar Mahadev Mandir: देश का ऐसा अनोखा मंदिर, जो दिन में दो बार हो जाता है गायब

Shree Stambheshwar Mahadev Mandir: देश का ऐसा अनोखा मंदिर, जो दिन में दो बार हो जाता है गायब

by Pooja Attri
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Shree Stambheshwar Mahadev Mandir: देश का ऐसा अनोखा मंदिर, जो दिन में दो बार हो जाता है गायब

Unique Shiva Temple: स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर के पास मौजूद है. ये अनोखा मंदिर दिन में 2 बार आंखों से ओझल हो जाता है जो समुद्र के पास स्थित है. मान्यतानुसार, इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं होता है.

16 April, 2024

Stambheshwar mahadev mandir interesting facts: देश में कई ऐसे मंदिर स्थित हैं जहां कई मान्यताएं प्रचलित हैं. उन्हीं में से एक अनोखा मंदिर स्तंभेश्वर महादेव है. ये मंदिर गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर के पास मौजूद है जो दिन में 2 बार आंखों से ओझल हो जाता है. मान्यतानुसार, इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं होता है. चलिए जानते हैं गुजरात के स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.

इतिहास

ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं सदी के आस-पास चावडी संतों द्वारा करवाया गया था. फिर बाद में श्री शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया. यहां के गर्भगृह में भगवान शंकर की मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर के पास त्रिलोचन गढ़ किला भी मौजूद है, जिसका निर्माण सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सुरक्षित रखने के लिए किया गया है.

कहां है मंदिर

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भारत के अनोखे मंदिरों में से एक है जो गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 175 किमी दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है. ये मंदिर पुराने सोमनाथ मंदिर से लगभग 15 किमी दूर स्थित हैं. अगर आप प्राचीन सोमनाथ मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भी जरूर जाएं.

मान्यताएं

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शंकर ने ताड़कासुर नाम के असुर की तपस्या से खुश होकर उसके वरदान दिया था कि भोलेनाथ के पुत्र के अलावा उसका कोई वध नहीं कर सकता. शंकर के पुत्र की आयु 6 दिन की होनी चाहिए. असुर ताड़कासुर को जैसे ही ये वरदान प्राप्त हुआ उसका आतंक बढ़ गया. तब तारकासुर को मार गिराने के लिए
6 दिन के कार्तिकेय पैदा हए. फिर ताड़कासुर की मौत के बाद शंकर भगवान भक्त की मौत से दुखी हो गए. तब कार्तिकेय ने प्रायश्चित करने के लिए उस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की, जहां ताड़कासुर का वध हुआ था. इसी स्थान पर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर खड़ा है.

मंदिर डूबने की वजह

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर खंभात की खाड़ी और अरब सागर से घिरा हुआ है. यहां पर दो बार ज्वार भाटा आता है. इस दौरान समुद्र का जल मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक करके लौट जाता है. इसी वजह से ये मंदिर समुद्र में डूब जाता है. मान्यतानुसार, ये अनोखा मंदिर सुबह और शाम के थोड़ी के लिए गायब हो जाता है.

यह भी पढ़ें: Adiyogi Temple: आखिर क्या संदेश देती है दुनिया की सबसे बड़ी भगवान शिव की मूर्ति आदियोगी

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