Hindu Temple: मां नर्मदा मंदिर वर्षों से बिना किसी पिलर और सपोर्ट के रेत पर खड़ा है और फिर भी बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में भी एक खरोच तक नहीं आती, ये बात हैरान करने वाली है. जानें इससे जुड़ी खास बातें.
13 April, 2024
Maa Narmada Temple Jabalpur: देश में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो न सिर्फ अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनसे जुड़ी मान्यताएं भी हैरान करने वाली हैं. उन्हीं में से एक मां नर्मदा मंदिर है. ये मंदिर जबलपुर के गौरी घाट में नर्मदा नदी की बीच धारा में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जिसको जानकर व्यक्ति आश्चर्य में पड़ सकता है. चलिए जानते हैं मां नर्मदा मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.
खास बातें
मां नर्मदा मंदिर बारिश के मौसम में चारों तरफ से जल से घिर जाता है, लेकिन फिर भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. इसके अलावा ये मंदिर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के दौरान भी अपने स्थान पर टिका रहता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इसमें कोई पिल्लर नहीं है. ये नदी के अंदर रेत पर बना मंदिर है.
अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण ये मंदिर उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ धाम की याद दिलाता है. इस मंदिर वर्षों से बिना किसी पिलर और सपोर्ट के रेत पर खड़ा है और फिर भी बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में भी एक खरोच तक नहीं आती, ये बात हैरान करने वाली है. इसी के चलते इस मंदिर को लेकर लोगों के बीच अटूट आस्था बनी हुई है.
प्रचलित मान्यताएं
इस मंदिर को लेकर भक्तों और श्रृद्धालुओं के बीच कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. मान्यतानुसार, जो साधक मंदिर की 1 परिक्रमा करता है, उसको मां नर्मदा की एक पूरी परिक्रमा करने जितना ही फल मिलता है. आमतौर पर मां नर्मदा की एक पूरी परिक्रमा करने में करीब 3 साल 3 महीने और 13 दिन लगते हैं.
परिक्रमा
मां नर्मदा को आटे का हलवा बेहद प्रिय है इसलिए उनको आटे के हलवे का भोग लगाया जाता है. मान्यतानुसार, जो व्यक्ति इस मंदिर में आकर मंदिर की एक परिक्रमा भी नहीं करता उसकी यात्रा अधूरी होती है. ऐसे में आप जब भी जबलपुर जाएं तो मां नर्मदा के दर्शन और परिक्रमा अवश्य करें.
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