Home Entertainment ‘वन्दे मातरम’ की रचना कर अमर हो गए Bankim Chandra, 65 सेकेंड का गीत बना भारत का राष्ट्रगीत

‘वन्दे मातरम’ की रचना कर अमर हो गए Bankim Chandra, 65 सेकेंड का गीत बना भारत का राष्ट्रगीत

by Preeti Pal
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Bankim Chandra: भारत की आजादी के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया. इसमें राजनेताओं और राजा-महाराजाओं का ही नहीं कवियों और साहित्यकारों का भी अहम योगदान है. उन्हीं में से एक रहे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय.

08 April, 2024

Bankim Chandra: भारत को गुलामी से आजाद कराने में कवियों और साहित्यकारों का बड़ा योगदान रहा है. इन्होंने अपनी अमर रचनाओं से आजादी की लड़ाई में जान फूंकी साथी ही भारतीय साहित्य को मजबूती भी दी. ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी थे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, जिनका लिखा वंदे मातरम भारत की पहचान बना. साल 1874 में बंकिम चंद्र द्वारा लिखा गया अमर गीत वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम का अहम उद्घोष बना. आज ये भारत का राष्ट्रगीत भी है.

अंग्रेजी हुकूमत से पंगा

26 जून 1838 को पैदा हुए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने देशवासियो को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन के लिए अपनी रचनाओं से प्रेरित किया. वन्दे मातरम नारा बंकिम चन्द्र चटर्जी का ही दिया था. ये बंगाल के उपन्यासकार और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे थे. उन्होंने साल 1882 में पहली बार वन्दे मातरम नारे का प्रयोग किया था. इसके बाद साल 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के अधिवेशन में इसका उपयोग किया था.बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय भारत के लोकप्रिय उपन्यासकार, कवि और पत्रकार थे.

कितने सेकेंड का होता है वन्दे मातरम?

भारतीय राष्ट्रीय गीत “वन्दे मातरम” एक संस्कृत और बांग्ला भाषा का गीत है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी. मूल रूप से ये गीन उन्हीं के उपन्यास आनंदमठ में एक गीत के रूप में प्रकाशित हुआ था. 65 सेकंड (1 मिनट और 5 सेकंड) का वन्दे मातरम सिर्फ एक गीत या नारा ही नहीं, बल्कि आजादी की एक संपूर्ण संघर्ष गाथा है. ये संघर्ष गाथा सन 1874 से आज तक करोड़ों दिलों में जल रही है.

वन्दे मातरम की रचना

देशभक्ति की ज्वाला को तेज करने के लिए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने साल 1874 में वन्दे मातरम गीत की रचना की. कहा जाता है कि जब अंग्रेजो ने हर प्रोग्राम में इंग्लैंड की महारानी के सम्मान में गॉड सेव द क्वीन गाने को अनिवार्य कर दिया था. इससे भारत के लोग काफी आहत हुए. तब साल 1874 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘वन्दे मातरम’ टाइटल से एक गीत की रचना की.

बंकिम चंद्र के उपन्यास

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने साल 1865 में अपना पहला उपन्यास लिखा था जिसका नाम था दुर्गेश नंदिनी. उस वक्त बंकिम की उम्र सिर्फ 27 साल थी. इसके बाद उन्होंने कपालकुंडला (1866), आनंदमठ (1882) और सीताराम (1886) जैसी कई शानदार रचनाएं कीं.

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