Aurangabad Lok Sabha Seat : बिहार की औरंगाबाद लोकसभा सीट को राजपूतों का गढ़ माना जाता है. अभी भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह यहां से सांसद हैं. सुशील कुमार ने 70 हजार से अधिक वोटों के अंतर से 2019 के चुनाव में जीत हासिल की थी.
05 April, 2024
Aurangabad Lok Sabha Seat : बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से औरंगाबाद एक ऐसी सीट है जो हमेशा ही चर्चा का विषय रहती है. औरंगाबाद लोकसभा सीट को राजपूतों का गढ़ माना जाता है. अभी भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार सिंह यहां से सांसद हैं. सुशील कुमार ने 70 हजार से अधिक वोटों के अंतर से 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. हालांकि अगर इस सीट के इतिहास की बात करें तो यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है. कांग्रेस ने यहां से लगातार सात बार चुनाव जीती है. औरंगाबाद के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिंह थे.
कांग्रेस को सात बार मिली जीत
औरंगाबाद जिले की स्थापना साल 1972 में की गई थी और यह पूर्वी चंपारण और गया जिलों से बनाया गया है. औरंगाबाद जिला बिहार के परंपरागत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है और यहां कई पुरातात्विक स्थल और मंदिर स्थित हैं. इस सीट के इतिहास की अगर बात करें तो 1950 में सत्येंद्र नारायण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. सत्येंद्र नारायण सिंह ने 1952, 1957, 1971, 1977, 1980 और 1984 तक लगातार चुनाव जीतते रहे. सत्येंद्र नारायण सिंह 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे थे.
जानें चुनावी इतिहास
सत्येंद्र नारायण सिंह को पहली बार जनता दल के प्रत्याशी राम नरेश सिंह ने हराया और 1989 के चुनाव को जीत कर सांसद बन गए. 1991 में भी राम नरेश सिंह ने जीत अपने नाम की थी. इसके बाद 1996 में जनता दल के वीरेंद्र सिंह के सिर जीत का ताज सजा था. 1998 के लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो समता पार्टी के सुशील कुमार सिंह को जीत मिली थी. साल 1999 में कांग्रेस की औरंगाबाद में फिर से वापसी हुई. श्यामा सिन्हा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. 2004 में भी कांग्रेस को ही जीत मिली थी. कांग्रेस प्रत्याशी निखिल कुमार ने चुनाव लड़ा था. 2009 में सुशील कुमार सिंह ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत अपने नाम की थी. इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और 2019 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीत अपने नाम कर ली.
औरंगाबाद सीट की जातीय समीकरण
औरंगाबाद के जातीय समीकरण में सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं. राजपूत वोटर्स की संख्या यहां दो लाख के आसपास है. यादवों की संख्या लगभग 1.90 लाख, मुस्लिम की संख्या लगभग 1.25 लाख, कुशवाहा की संख्या भी लगभग 1.25 लाख,भूमिहार मत लगभग एक लाख, दलित और महादलित की संख्या 2 लाख है. 1952 से लेकर अब तक केवल राजपूत जाति के नेता ही यहां से सांसद बने हैं. औरंगाबाद की कुल आबादी लगभग 2540073 है. जिसमें पुरुष 1318684 वोटर्स और महिला वोटर्स 1221389 हैं.
कौन कौन है इस बार चुनावी मैदान में
बिहार का चित्तौड़गढ़ भी औरंगाबाद को कहा जाता है. BJP ने इस बार फिर सांसद सुशील कुमार सिंह को ही टिकट दिया है तो RJD ने यहां से अभय कुमार सिंह को टिकट दिया है. इसके अलावा 7 और उम्मीदवार भी हैं जिन्हें चुनावी मैदान में
उतारा गया है.
7 और अन्य उम्मीदवार
सुनेश कुमार – बहुजन समाज पार्टी
शैलेश राही – अखिल हिंद फॉरवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी)
रामजीत सिंह – राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी
सुरेश प्रसाद वर्मा – निर्दलीय
प्रतिभा रानी – पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
मोहम्मद वली उल्लाह खान – निर्दलीय
राज बल्लभ सिंह – निर्दलीय
औरंगाबाद की प्रमुख घटनाएं
औरंगाबाद बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित है. औरंगाबाद को पहले नौरंगा के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम औरंगाबाद रख दिया गया. यह जिला नक्सल प्रभावित भी है. साल 1987 से 2000 तक कई नरसंहार हुए हैं. साल 2016 में नक्सलियों और सीआरपीएफ के बीच मुठभेड़ हुआ था. जिसमें दस जवान शहीद हो गए थे. 2019 में बीजेपी के विधान पार्षद राजन सिंह के घर पर नक्सलियों ने हमाला कर दिया था. जिसमें उनके चाचा नरेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी. यहीं नहीं नक्सलियों ने बम से एक घर को उड़ा दिया था. साथ ही कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था.
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