Home Politics ‘मैं खामोशी से लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकता’, लोकसभा चुनाव से पहले RLD के नेता ने छोड़ा जयंत चौधरी का साथ

‘मैं खामोशी से लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकता’, लोकसभा चुनाव से पहले RLD के नेता ने छोड़ा जयंत चौधरी का साथ

by Live Times
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Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंती चौधरी को बड़ा झटका लगा है. एनडीए का हिस्सा बनने से नाराज पार्टी के वरिष्ठ नेता शाहिद सिद्दीकी ने अपना इस्तीफा जयंत चौधरी को सौंप दिया है.

1 April, 2024

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंती चौधरी खुलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं तो वहीं उनके इस फैसले से नाराज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने उनसे नाता तोड़ लिया है. उन्होंने सोमवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. शाहिद सिद्दीकी पार्टी का मुख्य चेहरा थे और कई जिम्मेदारियों का निर्वाहन भी कर रहे थे. ऐसे में कहा जा रहा है कि उनका इस्तीफा आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा सकता है.

शाहिद सिद्दीकी ने सौंपा इस्तीफा

शाहिदी सिद्दीकी ने आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेजने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- ‘मैंने अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष माननीय जयंत चौधरी को भेज दिया है. उन्होंने कहा कि मैं ख़ामोशी से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते नहीं देख सकता हूं. मैं जयंत सिंह चौधरी और आरएलडी के अपने साथियों का आभारी हूं. धन्यवाद.

धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों पर टिकी पार्टी

उन्होंने आगे कहा कि जयंत चौधरी जी हमने 6 वर्षों तक एक साथ काम किया है और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. मैं एक तरह से आपको एक सहकर्मी से अधिक एक छोटे भाई के रूप में देखता हूं. हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर और विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे और सम्मान का माहौल बनाने में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं. धर्मनिरपेक्षता और हम दोनों जिन संवैधानिक मूल्यों को संजोते हैं, उनके प्रति आपकी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं कर सकता. आपके दिवंगत दादा भारत रत्न चौधरी चरण सिंहजी, आपके दिवंगत पिता अजीत सिंहजी और आपके समय से वास्तव में आपके द्वारा बनाई गई पार्टी इन मूल्यों के लिए खड़ी रही है.

आगे सिद्दीकी ने कहा है कि अब रालोद के एनडीए का हिस्सा बनने से मैं असमंजस में पड़ गया हूं. मैंने अपने दिल और दिमाग में लंबा और कठिन संघर्ष किया है, लेकिन खुद को भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से जुड़ने में असमर्थ पाता हूं. मैं आपकी राजनीतिक मजबूरियों से अवगत हूं और आपको अन्यथा सलाह देने की स्थिति में नहीं हूं. लेकिन अपनी बात करूं तो मैं खुद को इस चल रहे अभियान से और वास्तव में आरएलडी से अलग करने के लिए बाध्य हूं.

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