केरल का त्रिशूर पूरम पर्व संस्कृति को पेश करने का एक बेहतरीन तरीका है. इस अद्भुत पर्व में रंगीन छतरियां, सजे-धजे हाथियों का प्रदर्शन, मनमोहक संगीत को शामिल जाता है.
16 March 2024
Thrissur Pooram Festival: त्रिशूर पूरम केरल के लोकप्रिय और बड़े उत्सवों में से एक है जिसका आयोजन अप्रैल-मई के मलयालम माह में किया जाता है. ये पर्व संस्कृति को पेश करने का एक बेहतरीन तरीका है. इस अद्भुत पर्व में रंगीन छतरियां, सजे-धजे हाथियों का प्रदर्शन, मनमोहक संगीत को शामिल जाता है. यहां का शानदार दृश्य केरल के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है. चलिए जानते हैं त्रिशूर पूरम पर्व से जुड़ी की महत्वपूर्ण बातें.
क्यों मनाया जाता है?
केरल के त्रिशूर पूरम पर्व लगभग 200 साल पुराना है. इसकी स्थापना कोचीन साम्राज्य के शासक शक्तिन थंपुरन ने 1790 से 1805 में की थी. केरल में ये पर्व लगातार 8 दिनों तक मनाया जाता है. इससे जुड़ी एक प्रचलित कथा हैस जिसके अनुसार, मंदिर के एक समूह को भारी बारीश के चलते अराट्टुपुझा पूरम में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उस दौरान शक्तिन थंपुरन ने उनकी शिकायतों को सुनने बाद त्रिशूर पूरम पर्व शुरू करने का फैसला लिया. तभी से त्रिशूर पूरम पर्व केरल के प्रमुख सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में से एक बन गया. ये पर्व विश्वभर के विज़िटर्स को अट्रेक्ट करता है.
इस पर्व का महत्व
हर साल बड़ी संख्या में केरल का त्रिशूर पूरम पर्व विज़िटर्स के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस पर्व के दौरान आस-पास के मंदिरों में भव्य पूजन का आयोजन किया जाता है. इस पर्व में 50 से ज्यादा हाथियों को सजा-धजाकर धार्मिक यात्रा निकाली जाती है. साथ ही ट्रेडिशनल म्यूजिक प्ले किया जाता है. केरल का ये फेमस पर्व अपनी विस्तृत आतिशबाजी प्रदर्शन के लिए भी चर्चित है, जिसको वेदिकेट्टू का नाम दिया गया है.
Disclaimer: ये खबर सिर्फ आपको जागरूक करने के लिए लिखी गई है. इसका उपयोग करने से पूर्व विशेषज्ञ से जरूर सलाह लें.
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